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{{ParUG|87}} किसी प्राक्कल्पना के रूप में प्रयुक्त हो सकने की सामर्थ्य वाले प्रकृत वाक्य का क्या हम शोध और व्यवहार के आधार के रूप में प्रयोग नहीं कर सकते? यानी, क्या हम उसे, किसी स्पष्ट नियम के बिना, संशय-रहित नहीं कर सकते? इसे स्वयंसिद्ध मान लिया जाता है, इस पर कभी कोई प्रश्न नहीं उठाया जाता, संभवतः किसी प्रश्न की कभी कल्पना भी नहीं की जाती। | {{ParUG|87}} किसी प्राक्कल्पना के रूप में प्रयुक्त हो सकने की सामर्थ्य वाले प्रकृत वाक्य का क्या हम शोध और व्यवहार के आधार के रूप में प्रयोग नहीं कर सकते? यानी, क्या हम उसे, किसी स्पष्ट नियम के बिना, संशय-रहित नहीं कर सकते? इसे स्वयंसिद्ध मान लिया जाता है, इस पर कभी कोई प्रश्न नहीं उठाया जाता, संभवतः किसी प्रश्न की कभी कल्पना भी नहीं की जाती। | ||
{{ParUG|88}} उदाहरणार्थ, ऐसा हो सकता है कि ''हमारी सारी परीक्षा'' कुछ अभिव्यक्ति-समर्थ प्रतिज्ञप्तियों को संशय-रहित करने के लिए ही हो। वे परीक्षण-विधि के दायरे में नहीं | {{ParUG|88}} उदाहरणार्थ, ऐसा हो सकता है कि ''हमारी सारी परीक्षा'' कुछ अभिव्यक्ति-समर्थ प्रतिज्ञप्तियों को संशय-रहित करने के लिए ही हो। वे परीक्षण-विधि के दायरे में नहीं आती। | ||
{{ParUG|89}} कहा जा सकता है: “... से भी बहुत पहले से पृथ्वी के अस्तित्व के पक्ष में सभी बातें हैं और उसके विपक्ष में कोई भी बात नहीं है।” | {{ParUG|89}} कहा जा सकता है: “... से भी बहुत पहले से पृथ्वी के अस्तित्व के पक्ष में सभी बातें हैं और उसके विपक्ष में कोई भी बात नहीं है।” |