ऑन सर्टेन्टि: Difference between revisions

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{{ParUG|402}} इस टिप्पणी में “आनुभविक प्रतिज्ञप्तियों के आकार वाली प्रतिज्ञप्तियां” अभिव्यक्ति अपने-आप में बेहूदा है; प्रसंग तो भौतिक वस्तुओं के कथन का है। जैसे किसी प्राक्कल्पना के असिद्ध हो जाने पर किसी अन्य प्रतिज्ञप्ति को आधार बनाया जा सकता है वैसे ही इन प्रतिज्ञप्तियों को आधार के रूप में प्रतिस्थापित नहीं किया जा सकता।
{{ParUG|402}} इस टिप्पणी में “आनुभविक प्रतिज्ञप्तियों के आकार वाली प्रतिज्ञप्तियां” अभिव्यक्ति अपने-आप में बेहूदा है; प्रसंग तो भौतिक वस्तुओं के कथन का है। जैसे किसी प्राक्कल्पना के असिद्ध हो जाने पर किसी अन्य प्रतिज्ञप्ति को आधार बनाया जा सकता है वैसे ही इन प्रतिज्ञप्तियों को आधार के रूप में प्रतिस्थापित नहीं किया जा सकता।


<blockquote>.... और विश्वास से लिखें
<blockquote>.... और विश्वास से लिखें <br/>
 
“आरम्भ में तो कर्म ही था।”<ref>देखें गेटे, ''फ़ाउस्ट'' I</ref></blockquote>
“आरम्भ में तो कर्म ही था।”<ref>देखें गेटे, ''फ़ाउस्ट'' I</ref></blockquote>