फ़िलोसॉफ़िकल इन्वेस्टिगेशंस: Difference between revisions

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विभिन्न शब्द-प्रकारों के अन्तर के अस्तित्व के बारे में तो ऑगस्टीन कुछ कहते ही नहीं। मेरे विचार से यदि आप भाषा को इस प्रकार निरूपित करते हैं तो आप मुख्य रूप से संज्ञा, — जैसे "मेज", "कुर्सी", "रोटी" एवं लोगों के नामों — के बारे में ही सोचते हैं, और केवल अपरोक्ष रूप से ही कुछ विशेष कार्यों एवं गुणों के नामों के बारे में सोचते हैं, और शेष शब्द-प्रकारों के बारे में कुछ भी सोचते ही नहीं।
विभिन्न शब्द-प्रकारों के अन्तर के अस्तित्व के बारे में तो ऑगस्टीन कुछ कहते ही नहीं। मेरे विचार से यदि आप भाषा को इस प्रकार निरूपित करते हैं तो आप मुख्य रूप से संज्ञा, — जैसे "मेज", "कुर्सी", "रोटी" एवं लोगों के नामों — के बारे में ही सोचते हैं, और केवल अपरोक्ष रूप से ही कुछ विशेष कार्यों एवं गुणों के नामों के बारे में सोचते हैं, और शेष शब्द-प्रकारों के बारे में कुछ भी सोचते ही नहीं।


अब भाषा के निम्नलिखित प्रयोग के बारे में सोचिए : मैं किसी को खरीददारी के लिए बाजार भेजता हूँ। मैं उसे "पाँच लाल सेब" लिखा हुआ पर्चा देता हूँ। वह उसे लेकर दुकानदार के पास जाता है। दुकानदार "सेब" लिखे हुए खाने को खोलता है; फिर वह सारिणी में "लाल" शब्द को देखता है जिस के सामने एक रंग का नमूना है; और फिर वह "पाँच" शब्द आने तक गिनती गिनता है — मैं मानता हूँ कि उसने गिनती कण्ठस्थ कर रखी है और वह गिनती के प्रत्येक पग पर खाने में से एक सेब रंग वाले नमूने के साथ मिलाकर निकालता है। — इस प्रकार और इससे मिलते जुलते ढंग से ही हम शब्दों से काम चलाते हैं — “लेकिन उसे कैसे पता चलता है कि उसे कहाँ और कैसे 'लाल' शब्द का अर्थ ढूँढना है और उसे 'पाँच' शब्द के साथ क्या करना है?" बहरहाल मैं समझता हूँ कि वह वैसा ही ''करता'' है जैसे मैंने कहा है। व्याख्याओं का कहीं न कहीं तो अन्त होता ही है। — परन्तु "पाँच" शब्द का अर्थ क्या है ? — इस प्रकार का कोई प्रश्न यहाँ नहीं उठता, प्रश्न तो यह है कि "पाँच" शब्द का प्रयोग कैसे किया जाता है।
अब भाषा के निम्नलिखित प्रयोग के बारे में सोचिए : मैं किसी को खरीददारी के लिए बाजार भेजता हूँ। मैं उसे "पाँच लाल सेब" लिखा हुआ पर्चा देता हूँ। वह उसे लेकर दुकानदार के पास जाता है। दुकानदार "सेब" लिखे हुए खाने को खोलता है; फिर वह सारिणी में "लाल" शब्द को देखता है जिस के सामने एक रंग का नमूना है; और फिर वह "पाँच" शब्द आने तक गिनती गिनता है — मैं मानता हूँ कि उसने गिनती कण्ठस्थ कर रखी है और वह गिनती के प्रत्येक पग पर खाने में से एक सेब रंग वाले नमूने के साथ मिलाकर निकालता है। — इस प्रकार और इससे मिलते जुलते ढंग से ही हम शब्दों से काम चलाते हैं — “लेकिन उसे कैसे पता चलता है कि उसे कहाँ और कैसे 'लाल' शब्द का अर्थ ढूँढना है और उसे 'पाँच' शब्द के साथ क्या करना है?" बहरहाल मैं समझता हूँ कि वह वैसा ही ''करता'' है जैसे मैंने कहा है। व्याख्याओं का कहीं न कहीं तो अन्त होता ही है। — परन्तु "पाँच" शब्द का अर्थ क्या है? — इस प्रकार का कोई प्रश्न यहाँ नहीं उठता, प्रश्न तो यह है कि "पाँच" शब्द का प्रयोग कैसे किया जाता है।


'''2.''' अर्थ का यह दार्शनिक प्रत्यय भाषा के प्रयोग के बारे में किये गए आदिम चिंतन में पाया जाता है। परन्तु यह भी कहा जा सकता है कि भाषा का यह निरूपण हमारी भाषा से भी अधिक आदिम भाषा का है।
'''2.''' अर्थ का यह दार्शनिक प्रत्यय भाषा के प्रयोग के बारे में किये गए आदिम चिंतन में पाया जाता है। परन्तु यह भी कहा जा सकता है कि भाषा का यह निरूपण हमारी भाषा से भी अधिक आदिम भाषा का है।