ऑन सर्टेन्टि: Difference between revisions

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{{ParUG|27}} फिर भी, यदि हम यहाँ नियम जैसी कोई चीज बनाना चाहें तो उसमें हमें यह कहना होगा कि वह “सामान्य परिस्थितियों में” ही लागू होता है। सामान्य परिस्थितियों को हम पहचानते तो हैं किन्तु उनका हूबहू विवरण नहीं दे सकते। अधिकाधिक हम कुछ असामान्य परिस्थितियों का वर्णन कर सकते हैं।
{{ParUG|27}} फिर भी, यदि हम यहाँ नियम जैसी कोई चीज बनाना चाहें तो उसमें हमें यह कहना होगा कि वह “सामान्य परिस्थितियों में” ही लागू होता है। सामान्य परिस्थितियों को हम पहचानते तो हैं किन्तु उनका हूबहू विवरण नहीं दे सकते। अधिकाधिक हम कुछ असामान्य परिस्थितियों का वर्णन कर सकते हैं।


{{ParUG|28}} ‘नियम सीखने’ का क्या अभिप्राय है? — ''यह'' ।
{{ParUG|28}} ‘नियम सीखने’ का क्या अभिप्राय है? — ''यह''।


‘उस नियम-प्रयोग में भूल’ का क्या अभिप्राय है? — ''यह'' । और ऐसा कहते समय किसी अनिश्चित विषय को इंगित किया जाता है।
‘उस नियम-प्रयोग में भूल’ का क्या अभिप्राय है? — ''यह''। और ऐसा कहते समय किसी अनिश्चित विषय को इंगित किया जाता है।


{{ParUG|29}} नियम प्रयोग के अभ्यास से भी प्रायोगिक-दोष का पता चलता है।
{{ParUG|29}} नियम प्रयोग के अभ्यास से भी प्रायोगिक-दोष का पता चलता है।
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तो क्या यह कहा जा सकता है : हम इसे विश्वसनीय मानते हैं क्योंकि इससे हमें लाभ हुआ है?
तो क्या यह कहा जा सकता है : हम इसे विश्वसनीय मानते हैं क्योंकि इससे हमें लाभ हुआ है?


{{ParUG|171}} मूअर के कभी चाँद पर न जाने के विश्वास का मुख्य कारण यह है कि कोई भी व्यक्ति कभी चाँद पर नहीं गया, या कभी भी वहाँ नहीं ''पहुँचा'' । यह विश्वास हमारी शिक्षा पर आधारित है।
{{ParUG|171}} मूअर के कभी चाँद पर न जाने के विश्वास का मुख्य कारण यह है कि कोई भी व्यक्ति कभी चाँद पर नहीं गया, या कभी भी वहाँ नहीं ''पहुँचा''। यह विश्वास हमारी शिक्षा पर आधारित है।


{{ParUG|172}} संभवत : कोई कहे कि “किसी बात को विश्वसनीय मानने का हमारा कोई मुख्य आधार तो होगा”, किन्तु ऐसे आधार से क्या उपलब्धि होगी? क्या यह ‘सत्य मानने’ के प्राकृतिक नियम से बेहतर है?
{{ParUG|172}} संभवत : कोई कहे कि “किसी बात को विश्वसनीय मानने का हमारा कोई मुख्य आधार तो होगा”, किन्तु ऐसे आधार से क्या उपलब्धि होगी? क्या यह ‘सत्य मानने’ के प्राकृतिक नियम से बेहतर है?
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{{ParUG|267}} “मुझे पेड़ का चाक्षुष-प्रत्यक्ष मात्र नहीं होता : मैं ''जानता'' हूँ कि यह पेड़ है।”
{{ParUG|267}} “मुझे पेड़ का चाक्षुष-प्रत्यक्ष मात्र नहीं होता : मैं ''जानता'' हूँ कि यह पेड़ है।”


{{ParUG|268}} “मैं जानता हूँ कि यह एक हाथ है।” — पर हाथ किसे कहते हैं? “उदाहरणार्थ, ''इसे'' ।”
{{ParUG|268}} “मैं जानता हूँ कि यह एक हाथ है।” — पर हाथ किसे कहते हैं? “उदाहरणार्थ, ''इसे''।”


{{ParUG|269}} क्या चाँद पर अपने कभी भी न जाने के बारे में मैं उतना ही आश्वस्त हूँ जितना कि अपने बलगारिया न जाने के बारे में। मैं इतना आश्वस्त क्यों हूँ? क्योंकि मैं जानता हूँ कि मैं कभी भी उसके आस-पास के क्षेत्र — उदाहरणार्थ, बाल्कन्स में भी कभी नहीं गया।
{{ParUG|269}} क्या चाँद पर अपने कभी भी न जाने के बारे में मैं उतना ही आश्वस्त हूँ जितना कि अपने बलगारिया न जाने के बारे में। मैं इतना आश्वस्त क्यों हूँ? क्योंकि मैं जानता हूँ कि मैं कभी भी उसके आस-पास के क्षेत्र — उदाहरणार्थ, बाल्कन्स में भी कभी नहीं गया।